ICAR-CMFRI : समुद्री मत्स्य पालन अनुसंधान संस्थान ने सीर मछली की 2 नई प्रजातियों की पहचान की है

ICAR-CMFRI : समुद्री मत्स्य पालन अनुसंधान संस्थान ने सीर मछली की 2 नई प्रजातियों की पहचान की है

THE BEST ICAR-CMFRI : समुद्री मत्स्य पालन अनुसंधान संस्थान ने सीर मछली की 2 नई प्रजातियों की पहचान की है

THE BEST ICAR-CMFRI : समुद्री मत्स्य पालन अनुसंधान संस्थान ने सीर मछली की 2 नई प्रजातियों की पहचान की है

ICAR-CMFRI 2023 :

सेंट्रल मरीन फिशरीज रिसर्च इंस्टीट्यूट (सीएमएफआरआई) के वैज्ञानिकों ने भारतीय जल क्षेत्र में सीर मछली की दो और प्रजातियों की खोज की है

कोच्चि: आईसीएआर-सेंट्रल मरीन फिशरीज रिसर्च इंस्टीट्यूट (सीएमएफआरआई) के शोधकर्ताओं ने सीयर मछली की दो नई प्रजातियों की पहचान की है।

प्रमुख वैज्ञानिक ईएम अब्दुस्समद के नेतृत्व में टैक्सोनोमिस्टों की टीम ने अरब स्पैरो सीर मछली (स्कोम्बरोमोरस एविरोस्ट्रस) की खोज की, जो विज्ञान के लिए पूरी तरह से नई है, और रसेल की स्पॉटेड सीर मछली (स्कोम्बरोमोरस लेपर्डस) को पुनर्जीवित किया।

ICAR-CMFRI

चित्तीदार द्रष्टा मछली (स्कॉम्बरोमोरस गुट्टाटस) जिसे कभी एक ही प्रजाति माना जाता था, तीन अलग-अलग प्रजातियों का एक समूह है।

इनमें नई खोजी गई द्रष्टा मछली, पुनर्जीवित द्रष्टा मछली और मौजूदा चित्तीदार द्रष्टा मछली शामिल हैं। इस खोज के साथ, भारतीय जल में शीर्ष-मांग वाली सीर मछली प्रजातियों की कुल संख्या मौजूदा चार से बढ़कर छह हो गई।

ICAR-CMFRI : समुद्री मत्स्य पालन अनुसंधान संस्थान ने सीर मछली की 2 नई प्रजातियों की पहचान की है

भारतीय तट के किनारे पाई जाने वाली चित्तीदार मछली पर एक व्यापक वर्गीकरण अध्ययन से यह खोज हुई। नई प्रजाति को इसकी विशिष्ट पक्षी-चोंच जैसी थूथन के कारण सीएमएफआरआई टीम द्वारा अरेबियन स्पैरो सीर मछली का सामान्य नाम दिया गया था।

यह प्रजाति मैंगलोर के उत्तर में अरब सागर तट पर पाई जाती है और इसका वितरण अरब की खाड़ी तक फैला हुआ है। अन्य दो का वितरण नागपट्टिनम के उत्तर में बंगाल की खाड़ी के तट पर था, जिसमें अंडमान सागर और चीन सागर शामिल थे।

ये तीन सीर मछली प्रजातियां अपने समकक्षों की तुलना में आकार में छोटी हैं और ज्यादातर किनारे के पानी में पाई जाती हैं। उनका स्वादिष्ट स्वाद और उच्च बाजार मूल्य उन्हें एक बेशकीमती मछली बनाते हैं। अब्दुसमद ने कहा, “यह एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है

जो समुद्री जैव विविधता के बारे में हमारी समझ को बढ़ाती है और देश के मत्स्य पालन क्षेत्र में योगदान देने की क्षमता रखती है।” उन्होंने कहा कि इस खोज से भारतीय तट पर समृद्ध और विविध समुद्री जीवन पर प्रकाश डालने में मदद मिली।

ICAR-CMFRI : समुद्री मत्स्य पालन अनुसंधान संस्थान ने सीर मछली की 2 नई प्रजातियों की पहचान की है

ICAR-CMFRI :

अब तक छह प्रजातियाँ


नवीनतम खोज के साथ, भारतीय जल में शीर्ष मांग वाली सीर मछली प्रजातियों की कुल संख्या मौजूदा चार से बढ़कर छह हो गई है। 

इस मछली को अरेबियन स्पैरो सीर फिश (स्कोम्बेरोमोरस एविरोस्ट्रस) नाम दिया गया है। इसके साथ ही वैज्ञानिक रसेल्स स्पॉटेड सीर फिश (स्कोम्बरोमोरस लेपर्डस) को बहाल करने में भी कामयाब रहे हैं,

जिसके बारे में पहले लोगों का मत था कि वो स्पॉटेड सीयर फिश नामक एक अन्य प्रजाति से मिलती-जुलती है। लेकिन अब यह साबित हो गया है कि रसेल्स स्पॉटेड सीर फिश भी एक अलग प्रजाति है।

आईसीएआर के मुताबिक यह खोज समुद्री मत्स्य पालन के क्षेत्र में एक बड़ी सफलता है, क्योंकि सीर मछलियां व्यवसायिक रूप से बेहद महत्वपूर्ण समझी जाती हैं।

ICAR-CMFRI : समुद्री मत्स्य पालन अनुसंधान संस्थान ने सीर मछली की 2 नई प्रजातियों की पहचान की है

टैक्सोनोमिस्ट के एक दल ने यह खोज सेंट्रल मरीन फिशरीज रिसर्च इंस्टीट्यूट (सीएमएफआरआई) के प्रमुख वैज्ञानिक डॉक्टर ई एम अब्दुस्समद के नेतृत्व में की है। इन वैज्ञानिकों के मुताबिक स्पॉटेड सीर फिश (स्कोम्बरोमोरस गुट्टाटस) जिसे पहले एक ही प्रजाति माना जाता था वास्तव में वो मछलियों की तीन अलग-अलग प्रजातियां हैं। इनमें से एक नई खोजी गई प्रजाति अरेबियन स्पैरो सीर फिश भी शामिल है।

वहीं दूसरी रसेल्स स्पॉटेड सीर फिश है, जिसकी आबादी को दोबारा बहाल किया गया है। वहीं तीसरी मौजूदा स्पॉटेड सीर फिश प्रजाति है। इस खोज के साथ ही भारतीय जल क्षेत्र में मौजूद सीर मछलियों की कुल प्रजातियां चार से बढ़कर छह हो गई हैं, जिनकी देश में सबसे अधिक मांग है।

ICAR-CMFRI :

कैसे दूसरी सीर प्रजातियों से अलग हैं यह मछलियां

अपने इस अध्ययन में वैज्ञानिकों को भारतीय तट रेखा के किनारे पाई जाने वाली स्पॉटेड सीर फिश के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी मिली है। उन्हें पता चला है इन मछलियों में काफी विभिन्नता मौजूद है, इनका व्यवहार भी अलग-अलग है। इस शोध में मछलियों के आकार, संरचना और उनके जीनों में मौजूद विभिन्नता पर भी प्रकाश डाला गया है।

बता दें कि इस नई प्रजाति को उसकी पक्षी के चोंच जैसी थूथन के कारण वैज्ञानिकों ने अरेबियन स्पैरो सीर फिश नाम दिया है। यह मछलियां आमतौर पर मैंगलोर के उत्तर में अरब सागर के तट के आसपास निवास करती हैं। वहीं उपलब्ध वैज्ञानिक जानकारी के आधार पर पता चला है

कि इनका वितरण अरब की खाड़ी तक फैला हुआ है। वहीं दो अन्य प्रजातियां अंडमान सागर और चीन सागर सहित नागपट्टिनम के पास उत्तर में बंगाल की खाड़ी के तट पर पाई जाती हैं।

रिसर्च से पता चला है कि यह तीनों सीर प्रजातियां अपने समकक्षों से आकार में छोटी होती हैं और ज्यादातर किनारों के पास रहती हैं। उनका बेहतर स्वाद और बाजार में अच्छी कीमत मिलने के कारण यह मछलियां व्यवसायिक रूप से बेहद महत्वपूर्ण होती हैं।

ICAR-CMFRI : समुद्री मत्स्य पालन अनुसंधान संस्थान ने सीर मछली की 2 नई प्रजातियों की पहचान की है

इस खोज के बारे में डॉक्टर अब्दुस्समद का कहना है कि, “यह एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। जो समुद्री जैवविविधता के बारे में और अधिक जानने में हमारी मदद कर सकती है।” उनके मुताबिक यह देश में मत्स्य उद्योग के लिए वास्तव में फायदेमंद साबित हो सकती है।

उनका आगे कहना है कि “यह उपलब्धि समुद्री जीवन और मत्स्य पालन को लेकर किए जा रहे अनुसंधान में एक मील का पत्थर है, जो भारतीय तटों के आसपास समृद्ध जैवविविधता को उजागर करती है।”

बता दें की इससे  पहले वैज्ञानिकों ने बाराकुडा, चब मैकेरल और क्वीनफिश की एक-एक नई प्रजाति की खोज की थी।

Leave a Comment